

88 वर्षीय गाँधीवादी कांग्रेसी नेता चंदन सिंह पयाल के निधन पर राहुल गांधी ने परिजनों को पत्र भेजकर दी सांत्वना

यमकेश्वर विकासखंड के कपोल काटल (मुसराली) गांव के साधारण किसान परिवार में जन्मेँ स्वर्गीय चंदन सिंह पयाल जी ने जो कुछ अपनी मेहनत और लग्न से हासिल किया वो समूचे उत्तराखंड राज्य वासियों के लिए प्रेरणास्रोत है, उनकी सफलता और ईमानदारी के क्या मायने हैं, ये उनकी मृत्यु होने के उपरांत भी आज हम सबके सामने हैं, चंदन सिंह पयाल जी की मृत्यु का समाचार प्राप्त होने पर केंद्र में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने उनके परिजनों को पत्र भेजकर अपनी संवेदना व्यक्त की और परिजनों को दुःख की इस घड़ी में सांत्वना दी, इसके अलावा पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटोनी भारत सरकार सहित कांग्रेस पार्टी के सैकड़ों राजनेताओं ने भी अपनी संवेदना व्यक्त की, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से लेकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष उत्तराखंड कांग्रेस प्रीतम सिंह, राजेंद्र शाह प्रदेश महामंत्री कांग्रेस कमेटी, धीरेन्द्र प्रताप,हीरा सिंह बिष्ट पूर्व मंत्री उत्तराखंड सरकार, कोटद्वार मेयर शैलेंद्र रावत, सूर्यकान्त धस्माना, लालचंद शर्मा,
पूर्व विधायक राजकुमार , ने भी फोन द्वारा अपनी संवेदनाएँ व्यक्त की। जनप्रतिनिधियों ने भी परिजनों को फोन पर और घर जाकर सांत्वना दी।
55 सालों तक कांग्रेस पार्टी की सेवा करने वाले चंदन सिंह पयाल जी की जीवन यात्रा अपने यमकेश्वर विकास खंड की मोहन चट्टी से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद उच्च शिक्षा दिल्ली से ग्रहण के साथ आगे बढ़ी, और इस तरह बढ़ी कि वे पंडित नेहरू जी के कार्यकाल में कांग्रेस पार्टी से जुड़े, उसके बाद इंदिरा गांधी जी के साथ उनके सबसे विश्वसनीय कर्मचारियों में गिने जाने लगे, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव गांधी से लेकर नरसिम्हा राव, डॉ मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी जी के साथ भी उन्हें काम करने का मौका मिला।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी, दिल्ली कार्यालय के अधीक्षक के पद पर रहते हुए उन्होंने उत्तराखंड राज्य के सभी जरूरतमंद लोगों को हर संभव सहायता प्रदान की, इसके अलावा उत्तराखंड राज्य के सभी जिलों से दिल्ली आने-जाने वाले जनप्रतिनिधियों, पार्टी पदाधिकारियों के साथ आम जनमानस के लिए भी उनकी सेवा भाव की अनगिनत कहानियां हैं।
अपने यमकेश्वर विकास खंड में ग्राम विकास की बहुत सी योजनाओं को धरातल पर उतारने में उनका प्रत्यक्ष योगदान रहा है, जिनमें कपोल काटल-नैल रोड़, बिजनी बड़ी में बिजली पावर हाउस, पेयजल की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों के लिए पुण्डरासू पंपिंग योजना, इसके अलावा उनकी क्षेत्र और राज्य के हर समाजिक कार्यों में भी सक्रिय भागीदारी रहती थी।
डायबिटीज़ और किडनी रोग की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद उनका निधन समूचे राजनीतिक जगत के साथ समूचे उत्तराखंड राज्य के लिए बहुत बड़ी क्षति है, हम यमकेश्वर टाइम्स परिवार की और से दिवंगत आत्मा की शांति और परिजनों के प्रति संवेदना और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
